मधुर मिलन की मधुर स्मृति
गीत बिखरे प्रणय बंधन से
गूंज उठे फिर तार हृदय के
नयन द्वार खुल गए
प्रिये आन बसों नयनन मैं
अधरों पर तेरे नाम की गुंजन
अल्को मैं अश्रु सावन के
दर्पण है यह तेरे मन का
मन के दीप जलाऊ
प्रिये आन बसों नयनन में
रवि किरणों के छुटके रंग से
कलियों के घूँघट खुल जाये
ओर रंगों से सज कर वायु
सुध लेने जब आये,
तेरी याद वोह संग ले आये
प्रिये आन बसों नयनन में.
प्रेम के वश हुई मै दीवानी
प्रीत करू पर रीत न जानू
जान जाऊ जब मर्म भेद यह
पाऊ तुम्हे मैं स्वामी
प्रिये आन बसों नयनन में
साँझ ढले जब वृन्दावन मैं
यमुना की गाती लहरन में
प्रिये तुम मुझे बुलाओ
अरी तुम बंसी से न रिझाओ
कजरारी आँखे अम्बर की
मोती लिए झूमे गगन में
भाग्य जगे जब तुम आ जाओ
सावन न बिता जाये
प्रिये आन बसों नयनन मैं
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