धर्म और न्याय (कानून) में कोई अंतर नहीं है,धर्म
ही दुसरे शब्दों में न्याय है.
कानून में शंशोधन होते रहते है,और वोह शंशोधन कानून की बेहतरीन के लिए
लागु किये जाते है,ताकि समाज में न्याय प्रणाली
बनी रहे.मानवता बरकरार रहे.
मुल्क बदले,महजब बदले,लोग
धर्मान्तरित हुवे, - इश्वर उपासना अल्लाह की इबादत,
येशु की
प्रार्थना बन गई, बुद्ध,महवीर,जरदस्तु,कन्फुशियस,हजरतमूसा,ईसा,मुहम्द पैगम्बर,
देवदूत सभी आये,मानव समाज में मानवता के,भीतर छुपी त्रुटियाँ
निकाली धर्म सुधारक
बने, और
इसी समाज ने उन्हें धर्मप्रवर्तक बना दिया. मानव धर्म मानवता से निकल
कर नए
धर्म की स्थापना करने लगा. सभी महापुरुष,उपदेशक,जग कल्याण कर चले
गये,फिर
भी वोह इन्सान के दिलो-दिमाग से शैतान को
नहीं निकाल पाए. वाह ! इश्वर,
वाह रे !
रब,तूने यह कैसा इन्सान बनाया शक्ल सूरत, नैन-नक्श,मॉस-मज्जा,एक सा,
रक्त-खून,भर
दिया,जिगर भी एक सा बनाया,फिर दिमाग में क्या फितूर भर दिए, की वोह
एक साथ न
रह पाए. महजब बना कर यह भी हिदायत दे दी मजबूत बनो,और फिर
महजबी कौमे
ताकतवर बनने लगी.वोह हमें एक खूंटे से बाँध कर हमारी परिधि निश्चित
कर गए,ना
इसके बाहर निकलो,और ना किसी को बाहर निकलने दो.इसी दरमयान दुश्मनी
का दौर
शुरू हुवा,सियासते खड़ी हुई,जंग छिड पड़े,मार-काट आपसी दुश्मनी जहर उगलने लगी
आज हर तरफ
त्राहि-त्राहि,अराजकता फैलने लगी. हम उस एक दौर से गुजर रहे है जहाँ
मानवता खतरे
में है.वोह दिन दूर नहीं है,जब सभी के हाथ उठेगे, प्रार्थना के लिए दुवा के
लिए,इबादत
के लिए,
ऐ मेरे ईश्वर, मेरे मालिक,मेरे मौला,मेरे मसीहा. बचा लो हमें इस
बर्बादी से-
तू ही
एक सहारा है. और फिर कोई पैदा होगा धर्मपरिवर्तक ! मानव जाती के
कानून में शंशोधन होते रहते है,और वोह शंशोधन कानून की बेहतरीन के लिए
सार्थक पोस्ट ...सर्व शक्तिमान तो वो एक ही है
ReplyDeletebadhiya vichar !
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