जिस्म जलता रहा रूह
पिघलती रही
रात भर उसने हमें सोने
ना दिया
मैं भी तनहा रहा वोह
भी तनहा रहा
इबादत ने हमें रोने
ना दिया
मैं तेरी नज़्म गीतों
को गाता रहा
तू सुरों में सुरों
को मिलाता रहा
मैं मदहोश था वोह भी
मदहोश था
मैं ख़ुशी की तराने गाता रहा
दिल की आवाज से जो पुकारा
उसे
वोह भी आवाज देकर
बुलाता रहा
मेरे सपनो के मालिक
हंसी जादूगर
अपनी झोली में ले कर
रिझाता रहा
harivanshsharma@gmail.com
वाह।
ReplyDeleteबेहतरीन
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